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मौलिक अधिकार में संशोधन

by oscwpadmin
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भारतीय संविधान के टॉप 35 MCQ

मौलिक अधिकार में संशोधन

1-  गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य(1967ई.)-
  • गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य(1967ई.) के निर्णय से पूर्व दिए गए निर्णयों में यह निर्धारित किया गया था कि संविधान के किसी भी भाग में संशोधन किया जा सकता है जिसमें अनुच्छेद 368 एवं मूल अधिकार को शामिल किया गया था
  • सर्वोच्च न्यायालय ने  गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य राज्य वाद 1967 ई.के निर्णय में अनुच्छेद 368 में निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से मूल अधिकारों में संशोधन पर रोक लगा दी अर्थात संसद मूल अधिकार में संशोधन नहीं कर सकती है
  • गोलकनाथ मामले (1967) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती है और यह शक्ति केवल संविधान सभा के पास होगी।
  • न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन यदि भाग III द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार को ” निरस्त करता है” तो यह शून्य है।
2-  24वे में संविधान संशोधन (1971)-
  • 24वे में संविधान संशोधन (1971 )द्वारा अनुच्छेद 13 और 368 में संशोधन किए गए तथा यह निर्धारित किया गया कि अनेक अनुच्छेद 368 में दी गई प्रक्रिया द्वारा मूल अधिकार में संशोधन किया जा सकता है
  • केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद-
  • इसके अंतर्गत संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ (Basic Structure) का ऐतिहासिक सिद्धांत दिया गया था।
  • यह इस कारण से अद्वितीय था कि इसने लोकतांत्रिक शक्ति के संतुलन में बदलाव किया। इससे पहले के निर्णयों में यह कहा गया था कि संसद एक उचित विधायी प्रक्रिया के माध्यम से मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है।
  • लेकिन इस मामले में निर्णय लिया गया कि संसद संविधान की मूल संरचना अर्थात् ‘बुनियादी संरचना’ में संशोधन या परिवर्तन नहीं कर सकती है।
  • केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद के निर्णय में इस प्रकार के संशोधन को विधि मान्यता प्रदान की गई अर्थात गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य के निर्णय को निरस्त कर दिया गया
3-  24वे वे संविधान संशोधन (1976 )-
  • 24वे वे संविधान संशोधन (1976 )द्वारा अनुच्छेद 368 में खंड 4 और 5 जोड़े गए तथा या व्यवस्था की गई कि इस प्रकार किए गए संविधान संशोधन को किसी न्यायालय में प्रश्न गत नहीं किया जा सकता है
4-  मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ 1980-
  • मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ 1980 के निर्णय के द्वारा यह निर्धारित किया गया कि संविधान के आधारभूत लक्षणों की रक्षा करने का अधिकार न्यायालय को है और न्यायालय इस आधार पर किसी भी संशोधन का पुनरावलोकन कर सकता है इसके द्वारा चर्चा में संविधान संशोधन द्वारा की गई व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया|

 

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